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Friday, 3 February 2017

लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँ











































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































अपना रख पराया चखअपनी वस्तु की रक्षा, दूसरी की वस्तु का उपभोग
अकेला चना भाड नहीं फोड़ताकोई बड़ा कार्य एक आदमी  के वंश की बात नहीं।
अंत भले का भूलाअच्छे कार्य का परिणाम भी अच्छा होता है।
अटका बनिया दे उधारअपनी गरज पर दबाना पड़ता है।
आधा तीर आधा बटेरअनमेल मिश्रण
आधी छोड़ पूरी को धाबे आधी मिले न पूरी पावेलालच छोडे़ थोडे़ में ही संतोष करना चाहिए। लालची को कुछ भी नहीं मिलता।
उल्टा चोर कोतवाल को डांटेस्वयं दोषी होकर निर्दोष को दोषी ठहरा।
उंगली पकड़ कर पोछा पकड़नाथोड़ा सहारा बाद में उस पर अपना दावा जमाना
ऊँची दुकान फीका पकवानकेवल बाहरी चमक दमक, भीतर खोखलापन
कूद-कूद मछली बगुले को खायेविपरीत कार्य होना
क्या काबुल में गधे नहीं होते हैंअच्छे स्थान पर बुरे लोग भी होते हैं।
कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव परएक दूसरे की सहायता लेने ही पड़ती है।
कही की ईट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ाअसंगत वस्तुआंेे का मेल बैठाना
घर का भेदी लंका ढाएआपसी वैमनस्य से बड़ी हानि होती है।
घर की मुर्गी दाल बराबरहरतगंत बीज का विशेष मूल्य नहीं होता
घी का लड्डू टेठा तलाकाम की वस्तु कुरूप होने पर भी ठीक समझी जाती है।
घर मंे बीबी झोंके भाड़ बाहर मियां सूबेदारझूठी शान जताना
चोर के पैर नहीं होतेअपराधी स्वयं भयभीत रहता है।
चाँदी देख चाँदना, सुख देखे व्यवहारधनाढ्य के सभी सगे होते है।
चलती का नाम गाड़ी है।जैसे सफलता मिले उसी का यश फैले
जंगल में मोर नाचा किसने देखायोग्यता एवं वैभव का ऐसे स्थान प्रदर्शन जहाँ उसकी कोई कद्र न हो।
जैसा देश वैसा भेषजहां रहो, वहां वैसी रीति पर चले
देहरी लांघते पाप लगनाअतिशीघ्र बदनामी होना
दूसरी की पत्तल लम्बा-लम्बा भातपराई वस्तु सदा अच्छी  लगती है।
नंगे खड़े मैदान में चोर बलैया लेयजिसकी क्षति  होने का भय नहीं है, उसकी रक्षा करना व्यर्थ हैं
नाई की बारात में सब ठाकुरस्वंय को सबसे बड़ा मानने वाले लोगों का समूह
निबल की जोरू सबकी भोजाईकमजोर को सब दबाते हैं।
नौ की लकड़ी नब्बे खर्चमूल्य से अधिक वस्तु की देखरेख में व्यय
न रहेगा बाँस न रहेगी बाँसुरीकिसी बात के कारण चीज को ही जड़ से ही मिटा देना।
नौ नगद न तेरह उधारउधार से नगद थोड़ा मिलना ही अच्छा है।
नाच न जाने आंगन टेड़ाअपनी अकुशलता का दोष दूसरों पर ढालना।
बांह गहे की लाजशरण में आने वाले की रक्षा
बिल्ली के गले में घंटीकठिन कार्य सम्पन्न करना।
बिन मागें मोती मिले मांगे मिले न भीखमांगन अच्छा नहीं होता।
भुस में आग लगाकर जमालों दूर खड़ीकलह का बीज बो कर तटस्थ रहना
मियां जी दाढ़ी, तांबी जो मंे गाड़ीकिसी वस्तु का दूसरे में समाप्त हो जाना।
मुंह में राम बगल में छुरी‘कपट व्यवहार’
राम की माया कहीं धू कहीं छायाईश्वर की इच्छानुसा मुख दुःख सभी जगह है।
रस्सी जल गली पर बल नहीं गयाबर्बाद होने पर भी अहंकार बना रहना
लेने एक न देना दोकिसी से कोई मतलब नहीं
वहीं ढाक के तीन पातस्थिति में कोई परिवर्तन नहीं
सस्ता रोय बार बार मंहगा रोये एक बारसस्ती वस्तु खरीद कर प्रतिदिन परेशान हाना पड़ता है।
सेवा करें सो मेवा पावैसेवा का फल सदा अच्छा होता है।
हीरे की परख जौहरी जानेेगुणवान ही गुणों की पहचान करता है।
हमारी दिल्ली और हमी से म्याऊँजिस पर आश्रित होना उसी पर रौब जमाना
कहाँ राजा भोज कहां गंगु तेलीआकाश पाताल का अंतर
आम के आम गुठलियांे के दामदोहरा लाभ
घर आए नाम नू पूजिए बामी पूजन जाएअवसर का लाभ न उठाना और बाद में उसके लिए परेशान सहना
राम नाम अपना, पराया माल अपनाधोखे से धन जमा करना
सावन हरे न भादों सूखेसदा एक समान रहना
फिसल पड़े तो हरे गंगामजबूरी में काम करना
दोनों हाथों में लड्डुसब ओर लाभ ही लाभ होना
एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरीअपराधी होकर उल्टे अकड दिखना
काठ की हांडी बार-बार नहीं बढ़तीछल कपट का व्यवहार हमेशा नहीं चलता
कोई ईर घाट कोई बीर घाटताल मेल न होना
हाथी के पाँव सबका पाँवबड़े आदमी की हाँ में हाँ मिलाना।
जैसी बहे बयार पीठ तब तैसी कीजेसमय का रूख देखकर काम करना
अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं मिलतास्वयं प्रयत्न करने पर काम बनता है।
जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ न पहुँचे कविकवि के लिए कुछ भ्ी आगग्य नहीं है।
फटे में टाँग अड़ानादूसरे के झगड़े में घुसना
आग लगन्ते झोंपड़ा जो निकले  सो लाभ नुकसान होते होते जो कुछ बच जाए वही बहुत है।
आ बैल मुझे मारजान बूझकर मुसीबत मंे पड़ना
सब धान बाईस पसेरीअच्छा बुरा सबको एक समान समझना
जैसी करनी वैसी भरनीकार्य के अनुसार परिणाम मिलता है।
कोयले की दलाली में हाथ कालाबुरी संगत से बदनामी मिलती है।
चमड़ी जाये पर दमड़ी न जायेंमर जाये पर पैसा न जाये
अपनी करनी पार उतरनीकर्म  का फल अवश्य मिलता है।
तबेले की बला बन्दर के सिरकिसी का अपराध दूसरे के सिर
आगे कुआँ पीछे खाईसभी और से विपत्ति का आना
नीम हकीम खतरे जानअल्प विधा भयंकर
जर कार जोर पूरा है और सब अधूरा हैधन में सब कार्य सिद्ध करने की शक्ति है।
गुड़ खाये गुलगुलों से परहेजकिसी व्यक्ति से प्यार करके उसके व्यवहार से घृणा
तू  डाल-डाल में पात-पातदोनों चालाक
मान न मान में तेरा मेहमानजबरदस्ती गले पड़ना
दूध का जला छाछ भी फँूक-फँूक कर पीता है।एक बार धोखा खाने वाला अधिक सावधान हो जाता है।
एक एक ग्यारह होते हैंसंगठन में शक्ति है
अपना हाथ जगन्नाथअपने हाथ से कार्य करना।
अपनी डफली अपना रागसबका अपने अपने मन के अनुसार चलना
जैसे नाग नाथ वैसे साँप नाथसब एक समान दुष्ट प्रकृति वाले हैं।
खरबूजे को देखकर घरबूजा रंग बदलता है।पड़ोस का असर पड़ता है।
आपु न जावै सासुरे औरन कूँ सिख देतस्वयं किसी कार्य को न करना और उसको करने के लिए दूसरों को उपदेश देना।
सूप के फटके सूप नहीं रहते है।जहां की चीज होती है वहीं चली जाती है।
आसमान से गिरा खजूर में अटकाकिसी काम के बनने में अनेक बाधाओं का उपस्थित हो जाना।
दुविधा में दोनांे गये मोवा मिली ने रामअनिश्चय की स्थिति में व्यक्ति दोनों ओर से हानि उठाता हैं
अब पछताये से होत का जब चिड़िया चुग गयी खेतसमय पर कार्य न करने से बाद में पछताना पड़ सकता है।
हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा होयबिना खर्च किये कार्य का अच्छा होना।
आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपासकिसी कार्य विशेष की उपेक्षा कर किसी अन्य कार्य में लग जाना
एक म्यान मंे दो तलवारसबल प्रतिद्वन्ति एक साथ नहीं रह सकते।
तीन लोक से मथुरा न्यारीसबसे अलग विचार करना
हाँसिये के ब्याह में खुरपी का गीतअसंगत बातें करना
अन्धा बांटे रेवड़ी चीन-चीन के देन्याय के ओर से आँख मूंदकर स्वजनों को लाभ पहुँचाना
भौर न छाड़े केतकी तीखे कंटक जानअनेक पेरशानी आने पर भी प्रेमी प्रेम नहीं छोड़ते
कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है।अपनी बनायी हुई वस्तु सभी को अच्छी लगती है।
दस जने की लाठी एक जने का बोझ सहयोग से काम आसानी से हो जाता है।
सौ सयाने एक मतबुद्धिमानों के विचार एक से होते हैं
खाईये मन भाता पहेनिये जग भातानिजी जीवन जैसी स्वतंत्रता सार्वजनिक जीवन में नहीं खोजनी चाहिए।
बन्दर क्या जाने अदरक का स्वादमूर्ख व्यक्ति गुण की सही परख नहीं कर सकता।
पत्थर को जांेक नहीं लगती हैसबल का शोषण नहीं होता
ऊँट दूल्हा पुरोहित गधाएक मूर्ख व्यक्ति द्वारा दूसरे मूर्ख की प्रशंसा करना
काला अक्षर भैंस बराबरअनपढ़ होना
अरहर की टट्टी गुजराती तानाअनमोल साधन जुटाना
कमावै धोती वाला उड़ावै टोपी वालापरिश्रमी लोग कमाते  है, और शोकीन उसे उड़ाते हैं
जाके पाँव न फटे बिवाई  सो क्या जाने पी पराईजिसके ऊपर बीतती है वही जानता है।
अन्धेर नगरी वेबूझ राजा टका सेर भाजी टका सेर खाजान्याय विहीन शासन
एक तो करेला दूजा नीम चढ़ाएक बुराई पर दूसरी बुराई
डूबते को तिनके का सहाराआपत्ति के समय थोड़ी सहायता भी बड़ी होती है।
काम का न काज का दुश्मन अनाज कादूसरों पर बोझ बनकर रहने वाला व्यक्ति
तन पर नहीं लत्ता पान खाये अलबत्ताझूठ बोलाना, शेखी मारना
कोयले की दलाली में मुँह काला करनाबुरी संगत मंे कलंक लगना
एक हाथ से ताली नहीं बजती है।एक ओर से झगडा कभी नहीं हो सकता
बिल्ली को पहले दिन ही मार देना चाहिए।भय का समन शुरू में ही कर लेना चाहिए।
अपना माल खोट तो परखैया का क्या दोषयदि स्वयं ही दोषी है तो बुर बताने वाले का क्या दोष
न नौ मन तेरा होगा न राधा नाचेगीकार्य करने के लिए कोई असाधारण शर्त रख देना।
आदमी जाने वसे, सौना जानै कत्तैसाथ रहने पर ही किसी व्यक्ति का मूल्यांकन किया जा सकता है।
बगल में छोरा नगर में ढिंढोरावस्तु के पास रहने पर भी उसे चारो ओर ढूंढना
कागज की नाम अधिक समय तक नहीं चलतीऊपरी दिखावा दिखाने वालों की जल्द ही पौल खुल जाती है।
चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रातथोडे़ दिनों का सुख
नौ सौ चूहे खाये बिलारी बैठी तपकोअनेक पाप करके धर्म की बात करना।
उतर गयी लोई तो क्या करके कोईबेशर्म का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता
अन्धा पावै आँखे तो पतियायेअभिष्ट की प्राप्ति होने पर विश्वास का जमना
हाथ कंगन को आरसी क्याप्रत्यक्ष  को प्रमाण की जरूरत नहीं
गुरू गुड चेला चीनीगुरू से चेले का आगे बढ़ जाना
अशर्फियां लुटे और कोयले पर छापमूल्यावाल वस्तुआंे की ओर ध्यान न देकर व्यर्थ की चीजांे की फिक्र करना।
ऊँट मक्का की ओर भागता है।अपनी जन्म भूमि को सब प्रेम करते है।
यह मूँह और मसूर की दालहैसियत से बढकर चाहना
खग जाने खग ही की भाषाचालाक ही चालाक की बात समझता है।
ऊधौ का लेना न मांधौ का देनाअपने काम से काम
आप मियाँ जी मांगते  द्वार खड़े दरवेशकिसी निर्धन के घर भिखारियों  की भीड़ होना
आँख न दीदा काड़े कसीदासाधन न होने पर भी काम कर लेना।
हाथ सुमरनी बगल कतरनीकपटपूर्ण व्यवहार
अन्धे के आगे रोबे अपने नैना खोवेजो अपने दुख के को न समझे उसके आगे दुखड़ा रोने से कोई लाभ नहीं होगा।
अपना घर दूसरे सूझता है। अपने मतलब की बात कोई नहीं रखता है।
यथा राजा तथा प्रजास्वामी के अनुसार ही सेवक भी होते है।
घड़ी मंे तौला घड़ी मंे मासाजरा सी बात पर खुश होकर नाराज होना।
आग लगने पर कुआँ खोदनाविपत्ति आ जाने पर उसका निराकरण करना
हाथी के दांत दिखाने और खानेदिखावा कुछ और असलियत कुछ और
अंधे के हाथ वटेर लगनाअपात्र को सफलता मिलना
कखरी मंे लरका गाँव गोहारवस्तु के पास होने पर भी दूर-दूर तक उसकी तलाश करना
नेकी और पूछ-पूछअच्छे कार्य के लिये आज्ञा की क्या आवश्यकता
तेली का तेल जले मसालची का दिल जलेएक को खर्च कते देख दूसरा परेशान
बोए पेड़ बबूल का आम कहां से होएबुरे काम का फल अच्छा नहीं हो सकता
ऊँट को निगल लिया ओर दुम  को हिचकेबड़ी विपत्ति को स्वीकार करना और साधारण पर संकोच करना
नई नईन बाॅस का नैहन्नानये शोक को पूरा करने के लिए अजीम कार्य करना
खेती पाती बीनती ओर घोडे़ की तंग, अपने हाथ संभालिये चाहे लाख लोग होये संगअपना कार्य स्वयं करो
नेकी कर दरिया में डालउपकार करके भूल जाना चाहिए
हथेली पर सरसों नहीं जमतीकोई कार्य झटपट नहीं हो सकता
गधा खेत खाये जुलाहा पीटा जायेकिसी के कर्म की सजा किसी और को मिले
चोर-चोर मौसरे भाईएक पेशे वाले आपस में नाता जोड़ लेते हैं
अन्धे को अन्धेर मंे बहुत दूर की सूझीमूर्ख ने बुद्धिमानी की बात की
आम खाने या पेड़ गिननेव्यर्थ की बातें करके केवल अपने मतलब की बात करना
पर उपदेश कुशल बहुतेरे दूसरों को उपदेश देना आसान समझना
दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट मेंखाली न होना
आँख का अन्धा गाँठ का पूरामूर्ख किन्तु धनी
खोदा पहाड़ निकली चुहियाअधिक परिश्रम किन्तु लाभ कम
पढ़े फारसी बेचे तेल या देखो कुदरत का खेलविवश होकर योग्यता से निम्न स्तर का कार्य करना।
पाव भर चून पुल पर रसोईसीमित साधन होने पर भी अधिक लोगों को निमंत्रित करना।
कौआ भी हौंड न ले जायेगोदूर रहने वालों की कोई खबर नहीं होती
तीन दिन महमान चैथे दिन हैवानअतिथि कुछ दिनों का ही अच्छा होता है।
साँच को आँच नहींसच्चे को डरने की आवश्यकता नहीं होती
हाथी निकल गया दुम रह गयीसारा काम हो गया बस थोड़ा सा रह गया है।
भागते भूत की  लंगोटी भलीजो मिल गया वही बहुत
अन्त भले का भलाअच्छे कार्य का परिणाम भी अच्छा होता है।
प्रभुता पायी काहि मद नाहींधन वैभव प्राप्त होने पर मनुष्य मंे घमण्ड आ जाता है।
एक पथ दो काजएक काम से दोहरा लाभ
आगे नाथ न पीछे पगहाकिसी प्रकार का अंकुश न होना
घोड़ा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्याअपना हक लेने में लिहाज न करना
थका ऊँट सराय तकता है।दिन भर की महनत के बाद घर की याद आती है।
अध जल गगरी छलकत जायेअल्पज्ञ द्वारा गर्व प्रदर्शन करना।
जाको राखे साइयाँ मार सके न कोएजिसकी रक्षा ईश्वर करता है उसे कष्ट नहीं पहुँचा सकता है।
कहने से कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ताहठी मनुष्य किसी का कहना नहीं मानता है।
आँख का अन्धा नाम नयन सुखगुण के विपरीत नाम
मन के हारे हार है मन जीते जीतहतोत्साहित होन पर असफलता और निरन्तर उत्साह पूर्वक कार्य करने वासले को सफलता  मिलती है।
ऊँट के मुँह में जीराजरूरत से बहुत कम
घोडांे का घर कितनी दूरपुरूषार्थाी व्यक्ति को सफलता सरल होती है।
पुचकारा कुत्त्ता सिर चढेओछे लोग मुँह लगाने पर अनुचित लाभ उठाते हैं।
अरध तजहि बुध सरबस जातासब कुछ नष्ट हो रहा हो तो बुद्धिमान आधा छोड़ देते है।
माने भीख पूछे गाँव की जतमाअपनी असलियत भूूलकर बात करना।
घर फँूक तमाशा देखनाशान के लिए औकात से बाहर व्यय करना
एक तन्दुरस्ती हजार नियामतस्वास्थ्य बहुत बड़ी ची है।
सिर सहला भेजा खाऐदोस्त बनकर हानि पहुँचाना
एक अनार सौ बीमारकिसी वस्तु की पूर्ति कम किन्तु माँग अधिक होना।
जल में रहकर मगरमच्छ से बैरआश्रयदाता को शत्रु नहीं मानना चाहिए।
तेल देखो तेल की धार देखोरूख पहचानना
गंगा गए गंगादास , जमुना गए जमुनादासजिसका कोई दृढ सिद्धान्त नहीं होता।
नई घौंसन उपलों की तकियाअपने नए शौक  को पूरा करने के लिए अनप्रेक्षित  कार्य करना
जो गरजते हैं वे बरसते नहींकेबल बड़ी-बड़ी बातें
छछुन्दर के सिल में चमेली का तेलअयोग्य व्यक्ति को अच्छा पद मिलना
अपने घर मंे दिया जलाके तक मस्जिद मंे जलाते हैं पहले अपना स्वार्थ पूरा करके तब परमार्थ किया जाता है।
एक तबे रोटी क्या छोटी क्या मोटीसब लगभग एक समान होना
चोर की दाढ़ी मंे तिनकाअपराधी सदा शंका से घिरा रहता है।
नई-नई मुसलमानी, अल्लाह ही अल्लाह पुकारेनवीन पद प्राप्त होने पर अपने को अधिक प्रदर्शित करना।
अन्धी पीसे कुत्ता खायेअसावधानी के अयोग्य को लाभ
घर मंे नहीं दाने बीबी चली भुनानेसामथ्र्य से बाहर कार्य करना।
आप डूबे तो जग डूबाबुरा आदमी सबको बुरा कहता है।
अंधों में काना राजाअयोग्य व्यक्तिओं के बीच कम योग्य व्यक्ति भी आदर पाता है।
सौ दिन चोर का एक दिन साहूकार काकई बार अपराध करके बच जायें पर एक पकड़े जाने पर पूरा दण्ड लि जाये
अंधा क्या चाहे दो आँखअत्यावश्यक, वस्तु को प्राप्त करने की लालसा
के हंसा माती चुगै के लंघन कर मर जायेबहुत स्वादिष्ट भोजन करने वाला व्यक्ति
कोठी वाला रोवे छप्पर वाला सोवेअधिक धन दुःख का कारण है।
मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदनमुफ्त में मिली वस्तु का अपमान करना।
आया है जो जायेगा क्या राजा क्या रंकमृत्यु रका प्रकृति का शासवत  नियम है।
बन्दर की आशनाई घर मंे आग लगाई।मूर्ख से मित्रता करने पर हानि होती है।
कंगाली में आटा गीला होनामुसीबत पर और मुसीबत आना
ओस चाटने से प्यास नहीं बुझतीआवश्यकता से कहीं न्यून वस्तु की प्राप्ति।
ईतर के घर तीतर बाहर टांगे कि भीतरनई चीज लोगों को दिखाने की चाह
खारी मजदूरी चोखा कामनगद  और अच्छी मजदूरी से काम अच्छा होता है।
मढे़ दमामा जात कहुँ चूहे के चामछोटे लोगों से बड़ा काम नहीं होता
एक मछली सारे तालाबा को गंदा करती है।एक बुरे व्यक्ति के कारण पूरी बिरादरी बदनाम होती है।
कबीरा हाँड काठ की चढ़े न बारबारछल कपट का काम एक बार होता है।
जिस पेड के तले बैठना उसी की जड़े काटनाआश्रय देने वाले का विनाश करना।
ठाली बनिया क्या करै, इस कोठी  के धान उस कोठी में धरैबेकार आदमी व्यर्थ के काय्र्र करना है।
धोवे सौ-सौ बार भी काजर होये न स्वेतबुरे व्यक्ति पर शिक्षा का कोई असर नहीं होता।
साॅप छछुन्दर की सी गति होनादुविधा में पड़ना
जादू वही जो सिर चढ़कर बोले उपाय वही अच्छा जो सफल हो और जिसे विरोधी भी माने
एक चुप सौ को हरायेमौन रहना अत्यंत हितकारी है।
चोट्टी कुतिया जलेबी की रखवालीभक्षक को रक्षक का काम सौंपना
जो तोको काॅटा वुबे ताहि बोय तू फूलबुराई का बदला भलाई से दो
दाल-भात में मूसलचन्द्रआवश्यक दखल  देना
दुधारू गाय की लात भलीजिससे लाभ की आशा हो उसकी झिडकियां भी भली
भूखे भजन न होहिं गोपालाक्षुधा तृप्ति से हो कार्य झमता आती ह।
मुल्ला की दौड़ मस्जिद तकजिसका आना जाना सीमित क्षेत्र तक हो
पानी पीकर जाति नहीं पूछी जाती।काम होने के बाद उसके बारे में खोजबीन करना व्यर्थ है।
छोड़न का घर कितनी दूरव्यक्ति को छोटा काम भी बड़ी लगता है।
पाँसा पड़े सो दाँव, रोजा करे सो न्याउअधिकार की बात मान्य होती है।
दलाल दीवाला, क्या मस्जिद का ताला क्याविशेष क्षति का भय न हो तो रक्षा की व्यवस्था व्यर्थ है।
आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजाकिसी की आँखों के आगे उसका सर्वस्व लुट जाना
ओठों निकली कोठों चढ़ीमुँह से निकली बात गुप्त नहीं रहती
अपनी नाक काटकर दूसरे  का अपशकुन करनाअपनी हानि करके दूसरे की हानि करना।
होम करते हाथ जलनाकिसी अच्छे काम को करते हुए विपत्ति आ जाना।
नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है।बड़ों के सामने छोटों की बात कोई नहीं सुनता।
अपनी पगढ़ी अपने हाथ धोनाव्यक्ति अपनी प्रतिष्ठा स्वयं बनाता है।
चोरी का माल मोरी मेंहराम की कमाई व्यर्थ जाती है।
उल्टेबाँस बरेली कोविपरीत कार्य
चाँद को भी ग्रहण लगता है।विपत्ति सभी पर आती है।

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आप तो जानते है कि "आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है" लेकिन इन आविष्कार को करने के लिये आविष्कारक भी होने चाहिये, अगर ये आविष्कारक (...