स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया, भारत के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिये मोदी सरकार द्वारा चलाया गया नया अभियान है। स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया 16 जनवरी 2016 को मोदी सरकार द्वारा शुरु की जाने वाली एक योजना है।
ये अभियान देश के युवाओं के लिये नये अवसर प्रदान करने के लिये बनाया गया है। पी.एम. मोदी ने 15 अगस्त 2015, को नई दिल्ली, लाल किले से राष्ट्र को सम्बोधित करते हुये इस अभियान के बारे में बात की थी। ये पहल युवा उद्यमियों को उद्यमशीलता में शामिल करके बहुत बेहतर भविष्य के लिये प्रोत्साहित करेगी। कार्यक्रम के अनुसार, लगभग 125 लाख बैंकों की शाखाएँ युवाओं (कम से कम एक दलित या आदिवासी और एक महिला उद्यमी) को ऋण प्रदान करके प्रोत्साहित करेंगी। ये अभियान भारत में लोगों के लिये नये रोजगारों का निर्माण करेगा।
इस पहल को सफल करने के लिये ऑनलाइन कनेक्टिविटी के माध्यम से भारत के लगभग सभी उच्च शिक्षण संस्थानों की भागीदारी के प्रयासों की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम से भारत को दुनिया की स्टार्ट-अप राजधानी बनने में सहायता मिलेगी। स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया के शुरु किये जाने के साथ ही इस योजना की पूरी कार्यविधि पेश की जायेगी। एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समूह की स्थापना के द्वारा एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की योजना बनायी गयी है, जो नवाचार की देखरेख के साथ ही साथ स्टार्ट-अप प्रस्तावों के मूल्यांकन से ये सुनिश्चित करने के लिये कि वो प्रोत्साहन के योग्य है या नहीं।
ये पहल स्टार्ट-अप्स को नये कारोबार की शुरुआत में सहायता करने में सरकार की ओर से किया गया एक प्रभावी प्रयास है विशेषरुप नये विचारों को रखने वालों के लिये। ये छोटे और बड़े स्तर के उद्यमियों के स्तर को सुधारने में मदद करने के साथ ही दूसरों के लिये रोजगार के नये अवसरों का निर्माण करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी बैंकों से कम से कम एक दलित और एक महिला उद्यमी को अपना व्यवसाय खोलने के लिये प्रोत्साहित करने का अनुरोध किया है।
भारत में नये विचारों के साथ प्रतिभासंपन्न और कुशल युवाओं की कोई कमी नहीं है, हांलाकि, उन्हें आगे बढ़ने के लिये कुछ प्रभावी समर्थन की आवश्यकता है। सभी आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईएम, एनआईटी और भारत के अन्य संस्थानों को सीधे इस अभियान के सफल प्रक्षेपण के लिए एक दूसरे से जोड़ा जाएगा।
अब मानसिकता में बदलाव हो रहा है| अब भारत के प्रतिभाशाली युवाओं को यह लगने लगा है कि उनकी बुद्धि, उनके नव-नवीन आईडिया और विचारों का लाभ दूसरी कंपनियों को क्यों मिले? क्यों न वे खुद ही अपने विचारों को मूर्तरूप देने के लिए स्वयं अपनी कम्पनी शुरू करें| कहीं दूसरी जगह नौकरी करने की बजाय क्यों न खुद के साम्राज्य की नींव रखें| यह बदलाव आया है नई पीढ़ी (यानी वह पीढ़ी, जो नरसिंहराव द्वारा 1991 में आर्थिक उदारीकरण अपनाने के बाद आज पच्चीस वर्ष की हो चुकी है) के आत्मविश्वास से और मोदी सरकार की उद्योग-उन्मुख नीतियों से|
ग्लोबल इंटरप्रिन्योर मॉडल द्वारा किए गए शोध के अनुसार वृद्धि की अधिक संभावना वाली कम्पनी का उद्यमी तीन गुना अधिक रोजगार उत्पन्न करता है, बजाय कम संभावना वाली बड़ी कम्पनी के. जिस तरह से अत्यधिक प्रतिभावान एवं बुद्धिमान युवा नौकरी का मोह छोड़कर स्टार्ट-अप में रूचि दिखा रहे हैं, उसी का नतीजा है कि पिछले दो वर्ष में भारत की स्टार्ट-अप कंपनियों की फंडिंग में 125% की वृद्धि हुई है|
NASSCOM के अनुमान के मुताबिक़ अगले दस वर्ष में भारत में लगभग एक लाख नई स्टार्ट-अप कम्पनियाँ अस्तित्त्व में होंगी और निश्चित रूप से पाँच सौ अरब रूपए के टर्नओवर तथा कम से कम चार करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मुहैया कराने में सक्षम होंगी. इसी से सिद्ध होता है कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए स्टार्ट-अप कितनी जरूरी हैं|
स्टार्ट-अप कम्पनियां का आकार एवं उनकी शुरुआत में उनकी सीमित विस्तार क्षमता को देखते हुए वे बैंकों अथवा वित्तीय संस्थानों से बड़ी मात्रा में ऋण नहीं ले सकतीं. परन्तु चूंकि अंततः है तो यह व्यवसाय ही, ज़ाहिर है की इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ अन्य खतरे भी हैं ही. इस स्थिति को देखते हुए मोदी सरकार से यह अपेक्षा की जाती है की जिस तरह बड़ी-बड़ी महाकाय कंपनियों के ना सिर्फ ऋण समायोजित किए जाते हैं, उन्हें “रि-स्ट्रक्चर” किया जाता है और समय-समय पर उन्हें टैक्स में छूट आदि दी जाती है, यही सारी सुविधाएँ स्टार्ट-अप कम्पनियों को भी मिलनी चाहिए|
स्टार्टअप के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना भी आसान बनाया जाएगा. मसलन, कोई भी स्टार्टअप वेबपोर्टल या मोबाइल App पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकेगा. इसके अलावा नए कारोबारी को बिजनेस शुरू करने के लिए किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होगी, क्या शर्तें पूरी करनी होगी, यह सब पोर्टल और App पर मौजूद होगा| इस फंड से ऐसी महिलाओं और अनुसूचित जाति को स्टार्टअप के लिए मदद दी जाएगी. इसके लिए 8 हजार करोड़ के फंड को मंजूरी दी गई है|
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में स्टार्टअप की दुनिया की शुरुआत करने वाले की औसत उम्र 28 साल है. दुनिया भर के निवेशकों ये बात सबसे ज्यादा आकर्षित कर रही है|
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